Sunday, April 20, 2025
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आयुर्वेद महाविद्यालय की प्राचार्य निलंबित, यह है पूरा मामला

बुरहानपुर। मध्यप्रदेश विधानसभा में बुरहानपुर के पंडित शिवनाथ शास्त्री शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय की व्यवस्थाओं में सुधार और अनियमितताओं को लेकर विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री  अर्चना चिटनिस (दीदी) ने आयुष मंत्री इंदरसिंह परमार का ध्यानाकर्षण कराया। जिस पर मंत्री श्री परमार ने त्वरित कार्यवाही करते हुए प्राचार्य डॉ. रश्मि रेखा मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर अतिशीघ्र व्यवस्थाओं में सुधार करने तथा गंभीर अनियमितिताओं की जांच का आश्वासन दिया। साथ ही शासकीय स्वशासी धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय उज्जैन के प्रधानाचार्य डॉ.जे.पी.चौरसिया को आगामी आदेश तक अस्थायी रूप से प्रधानाचार्य शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय बुरहानपुर का प्रभार सौंपा है।

अर्चना चिटनिस ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पंडित शिवनाथ शास्त्री शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय बुरहानपुर राष्ट्र का लगभग 75 वर्ष पुराना महाविद्यालय है तथा इस महाविद्यालय से अध्ययनरत छात्र देश अलग-अलग प्रदेशों में अपनी महत्वपूर्ण सेवाऐं दे रहे है। परंतु 14 वर्ष पूर्व में वर्ष 2011 से 2018 तक डॉ. मिश्रा के प्रधानाचार्य प्रभार में रहने पर महाविद्यालय की प्रवेश मान्यता उनकी लापरवाही के कारण नहीं मिली थी। वर्ष 2018 में डॉ. मिश्रा को प्रभार से हटाने के पश्चात आयुर्वेद महाविद्यालय बुरहानपुर को लगभग 10 वर्ष बाद सतत् प्रयासों के परिणाम स्वरूप ही मान्यता प्राप्त हुई थी। परंतु डॉ.रश्मि रेखा मिश्रा के कारण महाविद्यालय की मान्यता निरस्त हो गई थी। जिसे पुनः प्रयासों से मान्यता को बहाल कराया गया। कहा कि आयुष विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है जिसके अंतर्गत प्रदेश में आयुर्वेद कॉलेजों का संचालन होता है। मध्यप्रदेश सरकार ने वर्तमान 7 कॉलेजांे के साथ ही 5 नए कॉलेज को स्वीकृति प्रदान की है। हमारे बुरहानपुर में एक प्राचार्य की वजह से आयुर्वेद कॉलेज का संचालन बाधित हो रहा। उसी महत्वपूर्ण विषय को लेकर सदन में मंत्री इंदरसिंह परमार जी ध्यानाकर्षण किया। जिस पर उन्होंने उत्तर देते हुए संबंधित प्राचार्य को निलंबित करने तथा तत्काल विभागीय जांच हेतु आश्वस्त किया है।

चिटनिस ने सदन में कहा कि बुरहानपुर कलेक्टर द्वारा महाविद्यालय में संचालित कार्यों की जांच कराई गई, जिसमें प्रतिवर्ष ऑडिट न होना, आवश्यक कमियों की निर्धारित समय-सीमा में पूर्ति न होना, मरीजों को आवश्यक सेवाएं न मिलना, छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान न मिला इत्यादि 22 बिन्दुओं का प्रतिवेदन विभाग को प्रेषित किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच में गंभीर अनियमितताएं सामने आई है।

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