बुरहानपुर । देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अजूबी ‘‘ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना‘‘ की सूत्रधार विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) परियोजना को मूर्तरूप दिलाने हेतु लगातार प्रत्यनशील है। शुक्रवार को भोपाल में उनके विशेष आग्रह पर आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव, मध्यप्रदेश जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट एवं श्रीमती अर्चना चिटनिस सहित मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के उच्च अधिकारियों की उपस्थिति परियोजना का प्रस्तुतिकरण हुआ। बैठक में परियोजना को मूर्तरूप दिलाने हेतु मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने हरी झंडी देते हुए परियोजना के क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र राज्य के जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों क्रियान्वयन में तेजी लाने के निर्देश दिए।
बैठक में डॉ.मोहन यादव ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जैसे हमने पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी प्रोजेक्ट को राजस्थान के साथ एवं उत्तरप्रदेश के साथ केन-बेतवा नदी प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक प्रारंभ किया। इस तरह अब हम ताप्ती नदी को लेकर महाराष्ट्र के साथ अगे बढ़ने का निर्णय कर रहे है, जो दोनों राज्यों के लिए लाभदायक होगा। इस संबंध में आज बैठक कर वरिष्ठ अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बुरहानपुर सहित महाराष्ट्र के 5 जिलों की जीवन रेखा ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए योजना के जमीन पर मूर्तरूप दिलाने हेतु विगत किए गए प्रयासों और कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि यह वृहद जल पुनर्भरण योजना मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योजना है एवं इससे क्षेत्र के समग्र विकास हेतु जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
श्रीमती चिटनिस ने ताप्ती कछार में स्थित अदभूत भूजल गर्भीय संरचना के बारे में जानकारी से अवगत कराते हुए कहा ताप्ती कछार में सतपुड़ा पर्वत की तलहटी में ताप्ती नदी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के समानांतर ‘‘भूभ्रंश‘‘ (फाल्ट) है। इसी भूभ्रंश से सटकर अत्यंत पाझर (परमेबल) ‘‘बजाड़ा झोन‘‘ (बजाडा झोन) पाया गया है। प्रकृति की इस विशेषता के कारण बरसात में स्थानीय नदी नालों का पानी अधिकांश भू-जल को पुनर्भरित करता चलता हैं। भारत सरकार के भू-जल बोर्ड ने इस आश्चर्यजनक फेनोमीनन को देखते हुए संशोधन पुस्तिका प्रकाशित कर बताया है कि ताप्ती के बरसाती बाढ़ के पानी को इस भूभ्रंश से सटकर चलाया जाए तो बड़े पैमाने पर भू-जल रिचार्ज हो सकता है ऐसा निष्कर्ष भू-जल बोर्ड द्वारा निकाला गया।
*परियोजना देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अजूबी*
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि यह परियोजना देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अजूबी परियोजना होने वाली हैं। यह मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र राज्य का संयुक्त उपक्रम है जो केला उत्पाद क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होगी। मेरा ही नहीं बल्कि सभी का दृढ़ विश्वास है कि ऐसी अद्भुत, अद्वितीय एवं आवश्यक परियोजना का क्रियान्वयन सभी के सहयोग से संभव हो सकेगा। इस परियोजना में महाराष्ट्र के धारणी से ताप्ती नदी के दोनों कछार से नहरे बननी है। दोनों ओर की नहरे ताप्ती कछार में स्थित भूभ्रंश (फाल्ट) के नजदीक से गुजरने वाली है तथा इन नहरों के माध्यम से कंट्रोलेड भूजल पुनर्भरण प्रस्तावित हैं। पुनर्भरण संरचना भू स्तर को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के वैज्ञानिक निर्धारित करेंगे। इस प्रकार भूगर्भ की संरचना का आधार लेकर लगभग एक लाख करोड़ लीटर (30 टीएमसी) पानी का हर वर्ष पुनर्भरण होना हैं। भारत सरकार के निर्देश पर एवं मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र दोनों के निरंतर प्रयास से वापकोस नई दिल्ली कार्यालय द्वारा डीपीआर तैयार कर दिया गया है। जिसमें मध्यप्रदेश का 1.23 लाख हेक्टेयर एवं महाराष्ट्र का 2.34 लाख हेक्टेयर पुनर्भरण से लाभान्वित होने वाला है तथा 48 हजार हेक्टेयर सीधी सिंचाई से लाभ होगा। जिससे मध्यप्रदेश के बुरहानपुर एवं खंडवा तथा महाराष्ट्र के जलगांव, बुलढाणा, अकोला और अमरावती जिले के क्षेत्र सम्मिलित है।
श्रीमती चिटनिस ने कहा इस परियोजना अंतर्गत पुनर्भरण से जलस्तर बढ़ना, भूजल गुणवत्ता सुधार, महाराष्ट्र के विदर्भ के खारपण पट्टा में क्षारों की तीव्रता (डेल्यूशन) कम होकर भूजल उपयुक्तता बढ़ाना, तालाब से सीधी सिंचाई होना एवं पर्यावरण का संरक्षण व संवर्धन होने का ध्येय निश्चित है। इस पर योजना की अनुमानात लागत रु. 19 हजार करोड़ के आसपास है तथा समुचित लाभांश क्षेत्र 3.57 लाख हेक्टेयर है। इस योजना का लाभव्यय रेशों 2.05 है जो कि बहुत अच्छा समझा जाता है।
*परियोजना को लेकर सतत प्रयत्नशील हैं अर्चना चिटनिस*
बैठक में श्रीमती अर्चना चिटनिस ने ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना का तकनीकी दृष्टि से संपूर्ण ऐतिहासिक घटनाक्रम बताया। उन्होंने बताया कि वर्ष 1999 में सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड, भारत सरकार द्वारा एक प्रकाशन किया गया जिसमें उन्होंने एक मेगा रिचार्ज की संभावना सतपुड़ा की तलहटी मेें उपस्थित बजाडा झोन की स्थिति को बताया। इस प्रकाशन को भूमिगत जल भरण के आर्टिफिशियल रिचार्ज का मास्टर प्लान भी कहा गया। तत्पश्चात लंबे प्रयासों के बाद केन्द्र व राज्यों सरकार के सतत् पत्राचार के बाद, सिविल सोसायटी के वैज्ञानिकों से उन्मीखीकरण के पश्चात अखबारों और मैगजीन में ताप्ती मेगा रिचार्ज के सतत प्रकाशनों के बाद 4 अगस्त 2009 को मुंबई में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के सरकार तत्कालीन जल संसाधन मंत्री एवं तत्कालीन शिक्षा मंत्री रहते मेरी उपस्थिति में इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की सैद्धांतिक सहमति बनाई गई। क्योंकि इस प्रकार के वृहद और विस्तृत भूमिगत जल पुनर्भरण की देश और दुनिया में कही भी उपलब्ध नहीं थी तो ताप्ती मेगा रिचार्ज को मान्यता मिल पाने में अनेकों स्तर पर कठिनाई व रूकावट निरंतर आती रही। वर्ष 2014 को श्री नरेंद्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनने के बाद 31 दिसंबर 2014 को टेक्नोटयूशन का टास्क फोर्स बनाया गया। केन्द्र एवं राज्य सरकारों की अनेकों स्तर पर कई बैठकों के पश्चात 5 अक्टूबर 2015 को टास्क फोर्स ने फिजिबिलीटी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। 9 जनवरी 2016 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री एवं भारत सरकार के जल संसाधन मंत्री के सम्मुख फिजिबिलीटी रिपोर्ट का प्रस्तुतीकरण किया गया। इस फिजिबिलीटी (पीएफआर) एक वृहद प्रोजेक्ट रिपोर्ट डीपीआर बनाने के निर्देश 13 जनवरी 2016 को दिए गए। जिसके लिए एक नया डीविजन जलगांव में प्रारंभ किया गया तथा डब्ल्यूएपीसीओएस ‘‘वेपकास‘‘ को डीपीआर बनाने के निर्देश दिए गए तथा वेपकास के साथ 5 मई 2016 को मेमोरेंडम एण्ड एग्रीमेंट पर सभी पक्षों द्वारा हस्ताक्षर किए गए। महाराष्ट्र के एसएलटीएसी से तकनीकी सहमति लेकर यह डीपीआर मध्यप्रदेश सरकार, महाराष्ट्र और भारत सरकार को 07 दिसंबर 2023 को पेश की जा चुकी है।