Thursday, May 22, 2025
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आज मेरे लिए एवं हम सब बुरहानपुर वासियों के गौरव का दिन, विश्व की सबसे बड़ी ग्राउण्ड वाटर रिचार्ज परियोजना है ‘‘ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज‘‘ का हुआ एमओयू-अर्चना चिटनिस

बुरहानपुर। देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अजूबी ‘‘ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना‘‘ की सूत्रधार विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने परियोजना को मूर्तरूप दिलाने हेतु हमारे 25 वर्षों की लगातार साधना व प्रयास सफल हो रहे है। बुरहानपुर सहित महाराष्ट्र के 5 जिलों की जीवन रेखा ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना जो वृहद जल पुनर्भरण योजना होकर विश्व का पायलट प्रोजेक्ट है तथा यह मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योजना साबित हो सकेगी। इससे ना केवल क्षेत्र का समग्र विकास और भू जल उपलब्धता को सुनिश्चितता मिलेगी वरन गिरते भू जल स्तर को रोकने में मदद करने वाली होगी। आज का दिन मेरे जीवन एवं निमाड़ क्षेत्र की जनता हेतु ऐतिहासिक क्षण है, जबकि यह एमओयू हस्ताक्षर होकर मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र के मध्य आदान-प्रदान किया जा रहा है। मैं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जल शक्ति मंत्री सी.आर.पाटिल, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस, महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन, मध्यप्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट सहित योजना से जुड़े समस्त अधिकारियों एवं सहयोगियों का मन से आभार व्यक्त करती हूं। इस एमओयू के हस्ताक्षर दौरान योजना की सूत्रधार श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) भी उपस्थित रही।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ताप्ती नदी के संरक्षण एवं पुनर्जीवन की दिशा में शुरू होने वाली इस परियोजना के साकार होने से निमाड़ की धरती तर होगी, क्षेत्र के कई जिलों को सिंचाई, पीने व उद्योगों के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध होगा और जल प्रबंधन को नई दिशा प्राप्त होगी। निश्चित ही जल संरक्षण एवं पर्यावरण संतुलन की दिशा में यह परियोजना मील का पत्थर सिद्ध होगी।। हम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री छंतमदकतं डवकप जी के नेतृत्व में जलशक्ति की संकल्पना को साकार करने एवं मध्यप्रदेश को जलसमृद्धि की दिशा में आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा भविष्य में भी ऐसे ही आधुनिकतम तकनीकों एवं नवाचारों को अपनाकर समृद्ध और सुरक्षित मध्यप्रदेश गढ़ने हेतु निरंतर कार्यरत रहेंगे। ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज योजना में कुल 31.13 टी.एम.सी. जल का उपयोग होगा। इसमें से 11.76 टी.एम.सी मध्यप्रदेश को और 19.36 टी.एम.सी जल महाराष्ट्र राज्य के हिस्से में आएगा। इस परियोजना में प्रस्तावित बांध एवं नहरों से मध्यप्रदेश कुल 3 हजार 362 हेक्टेयर भूमि उपयोग में लायी जाएगी। परियोजना में कोई गांव डूब प्रभावित नहीं होगा। अतः इसमें पुनर्वास की भी आवश्यकता नहीं होगी।

योजना की सूत्रधार श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि आज मेरे लिए एवं हम सब बुरहानपुर वासियों के गौरव का दिन। 25 वर्षों की प्रतीक्षा एवं हमारे अथक परिश्रम और प्रयासों को सफलता प्राप्त हुई। आज मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के इंटरस्टेट वाटर कंट्रोल बोर्ड की बैठक संपन्न हुई जिसमें ताप्ती मेगा रिचार्ज प्रोजेक्ट के एम.ओ.यू.पर हस्ताक्षर हुए। ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना विश्व की पहली ग्राउंड वाटर रिचार्ज परियोजना है। यह अद्भूत और महति परियोजना हमारे बुरहानपुर और आस-पास के क्षेत्र में प्रकृति की अकल्पनीय सरंचना की वजह से संभव हो रही। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि आज, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों ने ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। यह ऐतिहासिक क्षण दोनों राज्यों के लाखों लाभार्थियों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। दुनिया की इस सबसे बड़ी भूजल पुनर्भरण पहल के माध्यम से, ताप्ती नदी के जल का सदुपयोग करके मध्यप्रदेश के बुरहानपुर और खंडवा जिलों के साथ-साथ महाराष्ट्र के विशाल कृषि क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाया जा सकेगा।

श्रीमती चिटनिस ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पूरा होने पर, मध्यप्रदेश में लगभग 1.23 लाख हेक्टेयर और महाराष्ट्र में 2.35 लाख हेक्टेयर भूमि पर स्थायी सिंचाई उपलब्ध होगी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और कृषि उत्पादन में स्थिरता आएगी। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए, दोनों राज्यों के सभी लाभार्थियों की ओर से हम आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और राज्य सरकारों का हृदय से धन्यवाद करते हैं। आपका दूरदर्शी नेतृत्व और अटूट समर्थन ही इस विशाल परियोजना को साकार करने में सक्षम बना सका है। यह परियोजना न केवल जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि अंतर-राज्यीय सहयोग और विकास की एक नई मिसाल भी कायम करती है। हम इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन और इसके दीर्घकालिक लाभों की आशा करते हैं।

25 वर्षों की लगातार साधना व प्रयास सफल हो रहे है-अर्चना चिटनिस

*देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अनूठी ‘‘ताप्ती मेगा रिचार्ज* परियोजना‘‘ की सूत्रधार विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने परियोजना को मूर्तरूप दिलाने हेतु 25 वर्षों की लगातार साधना व प्रयास सफल हो रहे है। श्रीमती चिटनिस ने ताप्ती कछार में स्थित अदभूत भूजल गर्भीय संरचना के बारे में जानकारी से अवगत कराते हुए कहा ताप्ती कछार में सतपुड़ा पर्वत की तलहटी में ताप्ती नदी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के समानांतर ‘‘भूभ्रंश‘‘ (फाल्ट) है। इसी भूभ्रंश से सटकर अत्यंत पाझर (परमेबल) ‘‘बजाड़ा झोन‘‘ (बजाडा झोन) पाया गया है। प्रकृति की इस विशेषता के कारण बरसात में स्थानीय नदी नालों का पानी अधिकांश भू-जल को पुनर्भरित करता चलता हैं। जिसको तकनीकी विशेषज्ञों के ध्यान में लाकर हमने इस ताप्ती कछार में जल पुनर्भरण के नवीन प्रयोग की पहल पर ध्यानाकर्षित किया। फलस्वरूप भारत सरकार के भू-जल बोर्ड ने इस आश्चर्यजनक फेनोमीनन को देखते हुए संशोधन पुस्तिका प्रकाशित कर बताया है कि ताप्ती के बरसाती बाढ़ के पानी को इस भूभ्रंश से सटकर चलाया जाए तो बड़े पैमाने पर भू-जल रिचार्ज हो सकता है ऐसा निष्कर्ष भू-जल बोर्ड द्वारा निकाला गया।

*परियोजना देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अनूठी*

श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि यह परियोजना देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अनूठी परियोजना होने वाली हैं। यह मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के केला उत्पादक क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगी। इस परियोजना में महाराष्ट्र के धारणी से ताप्ती नदी के दोनों कछार से नहरे बननी है। दोनों ओर की नहरे ताप्ती कछार में स्थित भूभ्रंश (फाल्ट) के नजदीक से गुजरने वाली है तथा इन नहरों के माध्यम से कंट्रोलेड भूजल पुनर्भरण प्रस्तावित हैं। पुनर्भरण संरचना भू स्तर को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के वैज्ञानिक निर्धारित करेंगे। इस प्रकार भूगर्भ की संरचना का आधार लेकर लगभग एक लाख करोड़ लीटर (30 टीएमसी) पानी का हर वर्ष पुनर्भरण होना हैं। भारत सरकार के निर्देश पर एवं मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र दोनों के निरंतर प्रयास से वापकोस नई दिल्ली कार्यालय द्वारा डीपीआर तैयार कर दिया गया है। जिसमें मध्यप्रदेश का 1.23 लाख हेक्टेयर एवं महाराष्ट्र का 2.34 लाख हेक्टेयर पुनर्भरण से लाभान्वित होने वाला है तथा 48 हजार हेक्टेयर सीधी सिंचाई से लाभ होगा। जिससे मध्यप्रदेश के बुरहानपुर एवं खंडवा तथा महाराष्ट्र के जलगांव, बुलढाणा, अकोला और अमरावती जिले के क्षेत्र सम्मिलित है। श्रीमती चिटनिस ने कहा इस परियोजना अंतर्गत पुनर्भरण से जलस्तर बढ़ना, भूजल गुणवत्ता सुधार, महाराष्ट्र के विदर्भ के खारपण पट्टा में क्षारों की तीव्रता (डेल्यूशन) कम होकर भूजल उपयुक्तता बढ़ाना, तालाब से सीधी सिंचाई होना एवं पर्यावरण का संरक्षण व संवर्धन होने का ध्येय निश्चित है। इस पर योजना की अनुमानात लागत रु. 19 हजार करोड़ के आसपास है तथा समुचित लाभांश क्षेत्र 3.57 लाख हेक्टेयर है। इस योजना का लाभव्यय रेशों 2.05 है जो कि बहुत अच्छा समझा जाता है।

*परियोजना को लेकर सतत प्रयत्नशील हैं अर्चना चिटनिस*

श्रीमती अर्चना चिटनिस ने ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना का तकनीकी दृष्टि से संपूर्ण ऐतिहासिक घटनाक्रम बताया। उन्होंने बताया कि वर्ष 1999 में सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड, भारत सरकार द्वारा एक प्रकाशन किया गया जिसमें उन्होंने एक मेगा रिचार्ज की संभावना सतपुड़ा की तलहटी मेें उपस्थित बजाडा झोन की स्थिति को बताया। इस प्रकाशन को भूमिगत जल भरण के आर्टिफिशियल रिचार्ज का मास्टर प्लान भी कहा गया। तत्पश्चात लंबे प्रयासों के बाद केन्द्र व राज्यों सरकार के सतत् पत्राचार के बाद, सिविल सोसायटी के वैज्ञानिकों से उन्मीखीकरण के पश्चात अखबारों और मैगजीन में ताप्ती मेगा रिचार्ज के सतत प्रकाशनों के बाद 4 अगस्त 2009 को मुंबई में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के सरकार तत्कालीन जल संसाधन मंत्री एवं तत्कालीन शिक्षा मंत्री रहते श्रीमती अर्चना चिटनिस की उपस्थिति में इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की सैद्धांतिक सहमति बनी थी। क्योंकि इस प्रकार के वृहद और विस्तृत भूमिगत जल पुनर्भरण की देश और दुनिया में अन्य कोई योजना अब तक नहीं बनी और न ही क्रियान्वित हुई तो ताप्ती मेगा रिचार्ज को मान्यता मिल पाने में अनेकों स्तर पर कठिनाई व रूकावट निरंतर आती रही। वर्ष 2014 को श्री नरेंद्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनने के बाद 31 दिसंबर 2014 को टेक्नोटयूशन का टास्क फोर्स बनाया गया। केन्द्र एवं राज्य सरकारों की अनेकों स्तर पर कई बैठकों के पश्चात 5 अक्टूबर 2015 को टास्क फोर्स ने फिजिबिलीटी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। 9 जनवरी 2016 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री एवं भारत सरकार के जल संसाधन मंत्री के सम्मुख फिजिबिलीटी रिपोर्ट का प्रस्तुतीकरण किया गया। इस फिजिबिलीटी (पीएफआर) में एक वृहद प्रोजेक्ट रिपोर्ट डीपीआर बनाने के निर्देश 13 जनवरी 2016 को दिए गए। जिसके लिए एक नया डीविजन जलगांव में प्रारंभ किया गया तथा डब्ल्यूएपीसीओएस ‘‘वेपकास‘‘ को डीपीआर बनाने के निर्देश दिए गए तथा वेपकास के साथ 5 मई 2016 को मेमोरेंडम एण्ड एग्रीमेंट पर सभी पक्षों द्वारा हस्ताक्षर किए गए। महाराष्ट्र के एसएलटीएसी से तकनीकी सहमति लेकर यह डीपीआर मध्यप्रदेश सरकार, महाराष्ट्र और भारत सरकार को 07 दिसंबर 2023 को पेश की जा चुकी है।

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