बुरहानपुर. मेरा युवा भारत व नेहरू युवा केंद्र बुरहानपुर व्दारा जनजातिय गौरव दिवस के अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा की 149वी जयंती पर उत्कृष्ट सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिला युवा अधिकारी श्री पंकज गौस्वामी ने उपस्थित युवाओं को बताया कि आदिवासी समाज के मार्ग दर्शक और समाज में भगवान का दर्जा रखने वाले इस महानायक का जन्म 1875 में बंगाल प्रेसीडेंसी के रांची जिले के उलिहातु गाॅव मे हुआ वर्तमान में अब यह झारखंड के खुंटी जिले में है मुंडा प्रथा के अनुसार उन का नाम रखा गया उन्होंने समाज में क्रांति लाने के उद्देश्य से भुमि पर अधिकार के लिए आदिवासियों को संगठित किया गया अंग्रेजो के खिलाफ़ लडाई लडी वर्ष 1897 से 1900 के बीच चली बिरसा मुंडा ने दमनकारी शक्तियों के खिलाफ लडने के लिए समाज को प्रेरित किया दिनांक 09 जुन 1900 को जेल में भगवान बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गई उन की मृत्यु के बाद आंदोलन फीका पड गया – 1908 में औपनिवेशिक सरकार ने छोटा नागपुर से काश्तकारी अधिनियम (सी एन टी) पेश किया जो आदिवासी भुमि को गैर आदिवासियों को हस्तांतरित करने पर रोक लगाता है इस तरहा एक महानायक के दौर का अंत हुआ एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी को आज के दिन एक सच्ची सिध्दांत जली देते है कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि डॉ कविता गडवाल आयुष अधिकारी ने विजेताओं में – प्रथम – सादूअवासे- व्दितीय – उमेश मण्डलोई – तृतीय – निलेश भास्कर को प्रमाण पत्र व पुरुस्कार वितरण किया तथा विजय राठौर अधिक्षक छात्रवास, भावेश पाटील स्वयंसेवक, एजाज अंसारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
भगवान बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित निबंध प्रतियोगिता का हुआ समापन
बुरहानपुर. मेरा युवा भारत व नेहरू युवा केंद्र बुरहानपुर व्दारा जनजातिय गौरव दिवस के अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा की 149वी जयंती पर उत्कृष्ट सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिला युवा अधिकारी श्री पंकज गौस्वामी ने उपस्थित युवाओं को बताया कि आदिवासी समाज के मार्ग दर्शक और समाज में भगवान का दर्जा रखने वाले इस महानायक का जन्म 1875 में बंगाल प्रेसीडेंसी के रांची जिले के उलिहातु गाॅव मे हुआ वर्तमान में अब यह झारखंड के खुंटी जिले में है मुंडा प्रथा के अनुसार उन का नाम रखा गया उन्होंने समाज में क्रांति लाने के उद्देश्य से भुमि पर अधिकार के लिए आदिवासियों को संगठित किया गया अंग्रेजो के खिलाफ़ लडाई लडी वर्ष 1897 से 1900 के बीच चली बिरसा मुंडा ने दमनकारी शक्तियों के खिलाफ लडने के लिए समाज को प्रेरित किया दिनांक 09 जुन 1900 को जेल में भगवान बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गई उन की मृत्यु के बाद आंदोलन फीका पड गया – 1908 में औपनिवेशिक सरकार ने छोटा नागपुर से काश्तकारी अधिनियम (सी एन टी) पेश किया जो आदिवासी भुमि को गैर आदिवासियों को हस्तांतरित करने पर रोक लगाता है इस तरहा एक महानायक के दौर का अंत हुआ एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी को आज के दिन एक सच्ची सिध्दांत जली देते है कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि डॉ कविता गडवाल आयुष अधिकारी ने विजेताओं में – प्रथम – सादूअवासे- व्दितीय – उमेश मण्डलोई – तृतीय – निलेश भास्कर को प्रमाण पत्र व पुरुस्कार वितरण किया तथा विजय राठौर अधिक्षक छात्रवास, भावेश पाटील स्वयंसेवक, एजाज अंसारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए।