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Saturday, January 11, 2025

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रोटियों में मशहूर बुरहानपुर की मांडा-रोटी

बुरहानपुर। मध्यप्रदेश का इतिहास और यहां का पर्यटन देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी मशहूर है। यही वजह है कि यहां दुनियाभर से लोग घूमने-फिरने आते हैं। धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों से भरे इस राज्य का खानपान भी दुनियाभर में काफी विख्यात है। मध्यप्रदेश के व्यंजनों में से एक है बुरहानपुर की ‘‘रूमाली मांडा रोटी‘‘। इसकी लोकप्रियता जग-जाहिर है। इतिहासकारों के मुताबिक मांडा रोटी की शुरूआत मुगल शासनकाल में हुई थी। मुगल शासन ने जब बुरहानपुर को छावनी बनाया था। उस दौर में मुगल सैनिकों का आना-जाना लगा रहता था। इस दौरान कम समय में ज्यादा खाना बनाना मुश्किल होने लगा था। ऐसे में स्थानीय कारीगरों ने कम समय में ज्यादा खाना बनाने के लिए मांडा रोटी का सुझाव दिया। यह सुझाव सभी को अच्छा लगा, तभी से मांडा रोटी का चलन शहर में शुरू हुआ। पहले इसका वजन लगभग 500 ग्राम हुआ करता था, लेकिन वर्तमान में 100 ग्राम के आसपास सीमट कर रह गया है, जो अब भी बड़ी रोटियों में शुमार होती है और यही वजह है कि बुरहानपुर में हर विशेष अवसरों पर इस रोटी का इस्तेमाल होता है। वैसे आमतौर पर भी इसे लोग चाव के साथ खाते हैं। देश-विदेश से बुरहानपुर पहुँचने वाले पर्यटक मांडा रोटी का स्वाद लेने के साथ ही, यह कैसे बनती है, इस विधि को देखना भी पसंद करते हैं।

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बुरहानपुर। मध्यप्रदेश का इतिहास और यहां का पर्यटन देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी मशहूर है। यही वजह है कि यहां दुनियाभर से लोग घूमने-फिरने आते हैं। धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों से भरे इस राज्य का खानपान भी दुनियाभर में काफी विख्यात है। मध्यप्रदेश के व्यंजनों में से एक है बुरहानपुर की ‘‘रूमाली मांडा रोटी‘‘। इसकी लोकप्रियता जग-जाहिर है। इतिहासकारों के मुताबिक मांडा रोटी की शुरूआत मुगल शासनकाल में हुई थी। मुगल शासन ने जब बुरहानपुर को छावनी बनाया था। उस दौर में मुगल सैनिकों का आना-जाना लगा रहता था। इस दौरान कम समय में ज्यादा खाना बनाना मुश्किल होने लगा था। ऐसे में स्थानीय कारीगरों ने कम समय में ज्यादा खाना बनाने के लिए मांडा रोटी का सुझाव दिया। यह सुझाव सभी को अच्छा लगा, तभी से मांडा रोटी का चलन शहर में शुरू हुआ। पहले इसका वजन लगभग 500 ग्राम हुआ करता था, लेकिन वर्तमान में 100 ग्राम के आसपास सीमट कर रह गया है, जो अब भी बड़ी रोटियों में शुमार होती है और यही वजह है कि बुरहानपुर में हर विशेष अवसरों पर इस रोटी का इस्तेमाल होता है। वैसे आमतौर पर भी इसे लोग चाव के साथ खाते हैं। देश-विदेश से बुरहानपुर पहुँचने वाले पर्यटक मांडा रोटी का स्वाद लेने के साथ ही, यह कैसे बनती है, इस विधि को देखना भी पसंद करते हैं।

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