बुरहानपुर . शनिवार को अपने बड़े रथ पर बालाजी महाराज विराजमान होकर निकलेंगे।यह बड़ा रथ वर्ष भर में केवल दशहरे पर ही निकलता है।इस दिन श्री जी का शम्मी पूजन किया जाता हैं।350 साल पुराना बड़ा रथ सजकर तैयार हो गया है। यह रथ नगर भ्रमण के लिए उत्सव के 10वें दिन दशहरे पर निकलेगा। बाकी दिन बालाजी महाराज छोटे रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण करेंगे।
बड़े बालाजी मंदिर समिति अध्यक्ष व मंदिर के मुख्य पुजारी मोहन बालाजी वाले ने बताया कि बड़ा रथ 22 फिट ऊंचा है।इसके एक एक पहिया लगभग 5 किवंटल वजन का है।यह रथ 350साल पुराना है।हर वर्ष केवल इसके पहिया के लोहे के पट्टे को बदला जाता है।ओर पहियो कि गिरी सिंग की जाती हैं।इन पहियों के पट्टे को कंडे जलाकर लोहे के पट्टे गर्म किए जाते है। इन्हें एक-एक कर चारों पहियों पर चढ़ाया।ओर रंगरोगन किया जाता हैं। इस वर्ष बड़े रथ के निकलने कि पुरी तैयारी कर ली हैं।
मंदिर समिति के आशीष भगत व पूजारी मोहन महाराज ने कहा कि दशहरे के दिन शम्मी के पत्तो का विशेष महत्व रहता है। इसलिए एक भक्त के निवास पर श्री जी की प्रतिमा को रथ से उतारकर विशेष पूजन व मंत्रोच्चार के बीच शम्मी पूजन कीया जाता हैं।
महोत्सव के 9वे दिन मुख्य वाहन गरूड़ पर निकले बालाजी महाराज –
14 दिवसीय उत्सव के 9 वे दिन शुक्रवार को बालाजी महाराज छोटे रथ में अपने मुख्य वाहन गरुड़ पर सवार होकर निकले।ओर भक्तो को दर्शन दिए। रथयात्रा मंदिर से निकलकर पांडुमल चौराहा,गांधी चौक, फववारा चौक, किला रोड से अग्रसेन चौक होते हुए वापस मंदिर पहुँची।नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी को भक्तो ने बालाजी महाराज का लेकिन खेलकर व डोल, बजाकर स्वागत किया। कई भक्तों ने भजन कीर्तन कर स्वागत किया।
दशहरा पर बड़े रथ पर विराजमान होकर निकलेंगे बालाजी महाराज
दशहरा पर बड़े रथ पर विराजमान होकर निकलेंगे बालाजी महाराज
बुरहानपुर . शनिवार को अपने बड़े रथ पर बालाजी महाराज विराजमान होकर निकलेंगे।यह बड़ा रथ वर्ष भर में केवल दशहरे पर ही निकलता है।इस दिन श्री जी का शम्मी पूजन किया जाता हैं।350 साल पुराना बड़ा रथ सजकर तैयार हो गया है। यह रथ नगर भ्रमण के लिए उत्सव के 10वें दिन दशहरे पर निकलेगा। बाकी दिन बालाजी महाराज छोटे रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण करेंगे।
बड़े बालाजी मंदिर समिति अध्यक्ष व मंदिर के मुख्य पुजारी मोहन बालाजी वाले ने बताया कि बड़ा रथ 22 फिट ऊंचा है।इसके एक एक पहिया लगभग 5 किवंटल वजन का है।यह रथ 350साल पुराना है।हर वर्ष केवल इसके पहिया के लोहे के पट्टे को बदला जाता है।ओर पहियो कि गिरी सिंग की जाती हैं।इन पहियों के पट्टे को कंडे जलाकर लोहे के पट्टे गर्म किए जाते है। इन्हें एक-एक कर चारों पहियों पर चढ़ाया।ओर रंगरोगन किया जाता हैं। इस वर्ष बड़े रथ के निकलने कि पुरी तैयारी कर ली हैं।
मंदिर समिति के आशीष भगत व पूजारी मोहन महाराज ने कहा कि दशहरे के दिन शम्मी के पत्तो का विशेष महत्व रहता है। इसलिए एक भक्त के निवास पर श्री जी की प्रतिमा को रथ से उतारकर विशेष पूजन व मंत्रोच्चार के बीच शम्मी पूजन कीया जाता हैं।
महोत्सव के 9वे दिन मुख्य वाहन गरूड़ पर निकले बालाजी महाराज –
14 दिवसीय उत्सव के 9 वे दिन शुक्रवार को बालाजी महाराज छोटे रथ में अपने मुख्य वाहन गरुड़ पर सवार होकर निकले।ओर भक्तो को दर्शन दिए। रथयात्रा मंदिर से निकलकर पांडुमल चौराहा,गांधी चौक, फववारा चौक, किला रोड से अग्रसेन चौक होते हुए वापस मंदिर पहुँची।नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी को भक्तो ने बालाजी महाराज का लेकिन खेलकर व डोल, बजाकर स्वागत किया। कई भक्तों ने भजन कीर्तन कर स्वागत किया।